Wednesday 4 June 2014

बेहतरीन अदाकारा थीं नर्गिस




अपनी शानदार अभिनय के दम पर फिल्मी दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाने वाली दिवंगत अभिनेत्री नर्गिस का जन्म आज ही के दिन यानि 1 जून 1929 को हुआ था। मुस्लिम परिवार में पैदा हुईं नर्गिस का असली नाम फातिमा रशीद था। पहली बार नर्गिस ने 1935 में तलाश-ए-हक फिल्म में बाल कलाकार के रूप में काम किया था।

इसके बाद 14 साल की उम्र में वह महबूब खान की फिल्म तकदीर में भी नज़र आई। नर्गिस और राजकपूर की जोड़ी को दर्शकों बहुत साथ काफी सराही गई। नर्गिस और राजकपूर ने आवारा, बरसात, अंदाज, दीदार, श्री 420 जैसी फिल्मों में काम किया।

नर्गिस को फिल्म मदर इंडिया के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया। अपने ज़माने के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त से शादी करने के बाद नर्गिस ने फिल्मों को अलविदा कह दिया।

नर्गिस की मृत्यु 3 मई 1981 को कैंसर की वजह से हुई। उनकी मौत के कुछ ही दिन बाद उनके बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म रॉकी रिलीज हुई थी। नर्गिस को आज भी बड़ी शिद्दत के साथ याद किया जाता है। मौत ने भले ही उन्हें हमसे छीन लिया हो मगर वो आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा हैं।   

अमन 

मौजूदा दौर के काबिल अभिनेता



मौजूदा समय में परेश रावल को बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से गिना जाता है। एक तो परेश रावल में हर भूमिका में खुद को फिट करने की सबसे उम्दा कला है, दूसरा उन्होंने अपने करियर में हर तरह के रोल करके साबित कर दिया है कि वह वाकई उच्चकोटि के अभिनेता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने अभिनय से सभी की वाहवाही लूटने वाले परेश रावल इंजीनियर बनना चाहते थे। महज 22 साल की उम्र में पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई आने के बाद  उन्होंने सिविल इंजीनियर के तौर ढूंढने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन सभी ने उनके अभिनय कौशल को देखते हुए उन्हें फिल्मों में भाग्य आजमाने की सलाह दी।  

30 मई 1950 को जन्मे परेश ने अपने करियर की शुरुआत 1984 में रिलीज हुई होली से की। इसके बाद उन्होंने हिफाजत, दुश्मन का दुश्मन, लोरी और भगवान दादा जैसी फिल्मों में काम करके अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया। 1986 में परेश रावल को उस समय बड़ा रोल हाथ लगा जब राजेन्द्र कुमार ने उन्हें नाम फिल्म में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में दिखाई दिये और अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।

नाम की सफलता के बाद उन्होंने मरते दम तक, सोने पे सुहागा, खतरों के खिलाड़ी, कब्ज़ा, इज्जत जैसी बड़े बजट की फिल्मों में काम किया। 1993  में परेश रावल की दामिनी, आदमी और मुकाबला जैसी सुपरहिट फिल्में रिलीज हुईं। वहीं फिल्म सर के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार हासिल किया। फिल्म वो छोकरी में दमदार अभिनय के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

साल 1997  में प्रदर्शित हुई फिल्म तमन्ना में परेश रावल ने किन्नर की भूमिका निभाई, जो समाज के विरोध के बावजूद एक अनाथ लड़की को पालता है। वहीं 2000 तक आते-आते परेश ने कॉमेडी में भी हाथ आजमाना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने हेरा फेरी, फिर हेरा फेरी, आवारा पागल दीवाना, हंगामा, फंटूश, गरम मसाला, दीवाने हुए पागल, मालामाल वीकली, भागमभाग, वेलकम और अतिथि तुम कब जाओगे जैसी हास्य फिल्मों में काम किया।


फिलहाल परेश ने राजनीति में भी कदम बढ़ाते हुए भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर अहमदाबाद सीट जीती।

अमन