Monday 17 October 2011

हिसार सीट से बिश्नोई जीते


हरियाणा के हिसार में हुए लोकसभा के उपचुनाव का बहुप्रतिक्षित रिज़ल्ट घोषित हो चुका है और इसमें कुलदीप बिश्नोई ने बाजी मारते हुए जीत दर्ज की है। बीजेपी समर्थित हरियाणा जनहित कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप ने नेशनल लोकदल पार्टी के अजय चौटाला को हराया। जैसा की चर्चा थी कि कांग्रेस इस बार उलटफेर कर सकती है लेकिन ये सारी की सारी संभावनाएं धरी की धरी रह गईं क्योंकि उनके प्रत्याशी जयप्रकाश को इस बार भी तीसरे नंबर से ही संतोष करना पड़ा। वैसे सियासी जानकारों की मानें तो इस जीत मैं कहीं न कहीं अन्ना फैक्टर ने भी काम किया है क्योंकि कांग्रेस को वोट न देने की उनकी मुहीम से सीधा फायदा बीजेपी को ही मिला है। अलबत्ता बिश्नोई जीत के बाद इस बात को नकार रहे हैं कि उनकी जीत में किसी तरह भी अन्ना ने साथ दिया है। फिलहाल ये बात कांग्रेस के लिए फिक्र की इसलिए भी हो सकती है कि इसके बाद अन्ना यूपी चुनाव में भी कांग्रेस के विरूद्ध प्रचार करने का फैसला कर सकते हैं।
      
इस बीच बिश्नोई की जीत की ख़बर सुनते ही उनके घर के बाहर समर्थकों की बड़ी भीड़ जुट गई और उन्होंने कुलदीप की जीत पर जमकर जश्न मनाया। याद रहे कि कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं और उनकी मौत के बाद इस सीट पर 13 अक्टूबर को चुनाव हुआ था। वहीं प्रचार के दौरान जिस तरह से अन्ना ने खुले तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध किया था, तो उसी समय से ऐसा लग रहा था कि चुनाव में जय प्रकाश का जीतना मुश्किल हो सकता है। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान जयप्रकाश ने अन्ना को दरकिनार करते हुए कहा था कि हजारे की अपील का इस चुनाव पर को असर नहीं हो सकता क्योंकि चुनाव मुद्दों पर लड़े जाते हैं। अब जिस तरह से बाजी कांग्रेस के हाथ से निकली है उसे देखते हुए ये संभावना यकीन में बदल गई है कि अन्ना की अपील का लोगों पर खासा असर पड़ा है। वैसे यहां ये बात भी उल्लेखनीए है कि 2009 में हुए चुनावों में भी कांग्रेस के जय प्रकाश तीसरे स्थान पर ही रहे थे। इधर कांग्रेस की तरफ से हार को स्वीकार करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वो इस हार की समीक्षा करेंगे। बकौल मुखर्जी हार हमेशा ही दुखद होती है इसलिए पार्टी इसके कारणों का पता लगाने का प्रयास करेगी।

बहरहाल कांग्रेस के लिए ये परिणाम हताशा वाले हो सकते हैं क्योंकि अब उनके विपक्ष में अन्ना पूरी तरह से उतर चुके हैं। शायद इसी को देखते हुए पार्टी के महासचिव राहुल गांधी ने अन्ना से मिलने का फैसला किया है। विपक्षी पार्टी इसे कांग्रेस की हताशा बता रही हैं लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस मुलाकात को महज बातचीत बढ़ाए जाने के तरीके के तौर पर पेश किया जा रहा है। अब मामला चाहें जो भी हो लेकिन जिस तरह से राहुल यूपी के चुनाव में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं उसे देखते हुए ऐसा भी माना जा रहा है कि राहुल गांधी अन्ना से ये अपील कर सकते हैं कि वो यूपी चुनाव में उनके खिलाफ अपना अभियान न चलाएं। फिलहाल अब देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले दिनों में क्या कांग्रेस अन्ना के जनलोकपाल बिल पर अपनी हामी भरेगी, क्योंकि अन्ना का एकमात्र मुद्दा इस बिल को किसी भी तरह से पास कराए जाने को लेकर है।  

Saturday 15 October 2011

गज़ल किंग जगजीत सिंह



गज़ल गायकी को एक अलग अंदाज़ देने वाले जगजीत सिंह का सुरीला सफर 10 अक्टूबर को ठहर गया। ब्रेन हेमरेज के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में करीबन दो सप्ताह तक मौत से लड़ाई लड़ने वाले जगजीत सिंह आखिरकार हमें अलविदा कहकर उस देश को चले गए जहां न कोई चिठ्टी और न ही कोई संदेश पहुंच सकता है। महज 70 साल की उम्र में ही हमसे नाता तोड़कर जाने वाले जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 8 फ़रवरी 1941 को हुआ था। परिवार के लोगों ने शुरू में जगजीत सिंह का नाम जगमोहन रखा था, लेकिन एक ज्योतिषी की सलाह पर इसे बदल कर जगजीत कर दिया गया था। इसके बाद जगजीत ने ग़जलों में रूचि लेना शुरू किया और संगीत की शिक्षा हासिल करने के बाद वो साठ के दशक में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मायनगरी में आ गए। बस यहीं से जो गायकी का सफर शूरू हुआ तो उसने कभी भी रूकने का नाम नहीं लिया बल्कि रोज़ ब रोज़ उनकी प्रसिद्धि देश के साथ–साथ विदेशों में भी फैलने लगी। गज़ल के क्षेत्र में अपनी खास जगह बनाने के बाद जगजीत ने अपनी दोस्त चित्रा से शादी कर ली, शादी के बाद उनके घर में एक बेटा का जन्म भी हुआ लेकिन दर्द के इस पुजारी को यहां भी जिंदगी ने एक और बड़ा सदमा देते हुए उनसे उनका 19 साल का बेटा छीन लिया। ग़मों के इस सैलाब से उबरते हुए जगजीत ने वापस अपनी आवाज़ का जादू बिखरने शूरू तो किया लेकिन उनकी पत्नी को अपने बेटे के खोने का इतना बड़ा सदमा लगा कि उन्होंने गज़लें गाना बिल्कुल बंद कर दिया। बेटे की मौत के बाद जगजीत सिंह ने काफी हद तक उन्हें संभाला था लेकिन अब उनके जाने के बाद चित्रा के लिए खुद को संभाल पाना आसान नहीं होगा।

इधर जैसे ही जगजीत सिंह की मौत की ख़बर वॉलीबुड के लोगों को लगी तो तमाम लोगों ने न सिर्फ इसे बड़ी क्षति बताया बल्कि यहां तक कहा कि गज़ल गायकी का एक पूरे का पूरा अध्याय समाप्त हो गया है। मशहूर गायिका लता मंगेशकर ने जगजीत की मौत पर गहरा अफसोस करते हुए कहा कि गज़ल गायकी में उनके स्टाइल, उनका गाने का तरीका, अच्छी शायरी को सामने लाने की कला अब नहीं दिखाई नहीं देगी क्योंकि किसी में भी उनके जैसे बात नहीं है। इसी तरह से बीते ज़माने के एक्टर फारूक शेख मानते हैं कि गज़लों को आम आदमी तक पहुंचाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। अभिनेता रज़ा मुराद भी मानते हैं कि जगजीत सिंह ने गज़लों को पूरी दुनिया में नाम दिलाया। बकौल मुराद पहले वो मानते थे कि गज़लें सिर्फ बुढ़े लोगों के लिए होती हैं लेकिन उन्होंने ऐसी गज़लें पेश की जिन्होंने नौजवानों के दिल में भी खासी जगह बनाई। सरहद पार यानि पाकिस्तान की मशहूर सूफ़ी गायिका आबिदा परवीन ने भी खुद को जगजीत सिंह की बड़ी फैन बताते हुए उन्हें जग के जीत का नाम दिया। वाकई संगीत की परख रखने वालों के साथ ही आम आदमी के ज़ेहन में भी जगजीत की गज़लें आसानी से अपनी जगह बना लेती थीं। आज के दौर में जबकि संगीत में कई तरह की विधाएं देखने को मिल रहीं हैं जैसे पॉप संगीत और रीमिक्स संगीत लेकिन जगजीत की गज़लों की लोकप्रियता इन सबके बावजूद न सिर्फ बनी हुई है बल्कि दिनों दिन इनको सुनने वालों की तादाद भी बढ़ती जा रही है।
    
बहरहाल होठों से छू लो तुम..., ये दौलत भी ले लो..., होशवालों को खबर क्या..., हजारों ख्वाहिशें ऐसी..., हाथ छूटे भी तो..., वो कागज़ की कश्ती, मैं नशे में हूं जैसी बेशुमार सुरीली गजलों को पेश करने वाले जगजीत सिंह के चले जाने से संगीत को वास्तव में बहुत बड़ी क्षति हुई है। ख़ैर भले ही जगजीत सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे हों लेकिन उनकी यादगार गज़लें हमेशा हमारे साथ बनी रहेंगी। महान गज़ल गायक को हमारी तरफ से आखिरी सलाम।

Wednesday 12 October 2011

फिक्सिंग की फांस


क्रिकेट जगत में एक बार फिर फिक्सिंग के खुलासे ने सनसनी मचा दी है। मैच फिक्स करने का मामला दरअसल उस समय उठा जब लंदन की एक अदालत में पिछले साल एक स्टिंग के जरिए पकड़े गए बुकी मज़हर मजीद ने स्वीकार किया कि मैच फिक्स करने के इस बाज़ार में वो सालों से इस तरह की गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। अदालत के सामने कई अहम खुलासे करते हुए मजीद ने कहा कि खुद को पाक साफ बताने वाले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दुनिया भर में सबसे अधिक मैच फिक्स करते हैं। पाकिस्तान के तो कई दिग्गज खिलाड़ियों के नाम गिनाते  हुए मज़हर ने कहा कि वसीम, वक़ार, एजाज अहमद और मोइन खान जैसे खिलाड़ी भी मैच हारने के लिए पैसे खा चुके हैं। वहीं मामला सिर्फ पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत के दामन पर भी इसके छींटे पड़ते हुए नज़र आ रहे हैं। बुकी मज़हर ने खुलासा किया है कि भारतीय खिलाड़ी युवराज सिंह और हरभजन सिंह के उनसे संबंध हैं। लेकिन भारतीय टीम के सबसे अनुभवी स्पिनर हरभजन ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी मजीद नाम के शख्स को नहीं जानते हैं। साथ ही भज्जी ने ये भी कहा कि मजीद द्वारा उनका नाम नाहक ही इस मामले में घसीटे जाने पर वो इसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई करने की बात पर भी विचार कर रहे हैं। इसी तरह से युवराज सिंह ने भी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा है कि क्रिकेट एजेंट मज़हर मजीद के साथ उनकी किसी तरह की जान-पहचान नहीं है।

इधर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने खिलाड़ियों का पूरी तरह से बचाव करते हुए कहा है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दुनिया का सबसे बड़ा मैच फ़िक्सर बताने वाले इस बयान में ज़रा भी सच्चाई नहीं है। उल्लेखनीए है कि मजीद ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर मैच के कुछ हिस्से फ़िक्स करने का आरोप लगाया था। फिक्सिंग की जुबान में इसे ब्रैकेट्स कहते हैं जिसके तहत मैच के अलग-अलग हिस्सों को लेकर फ़िक्सिंग होती है जैसे शुरूआती ओवरों में कितने विकेट गिरेंगे और कितने रन बनेंगे। मजीद की मानें तो ऑस्ट्रेलियाई हर मैच में कम से कम 10 ब्रैकेट्स फिक्स करते हैं। वैसे क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेम्स सदरलैंड ने इस बाबत कहा है कि वह आईसीसी अधिकारियों से इस बारे में बात करेंगे और अगर कोई भी खिलाड़ी मैच-फ़िक्सिंग में शामिल पाया गया तो उस पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। याद रहे कि न्यूज़ ऑफ़ वर्ल्ड के  पत्रकार मज़हर महमूद पिछले साल एक स्टिंग करके इस बात का खुलासा किया था कि इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट मैच को टीम के तीन खिलाड़ियों ने फिक्स किया था। वीडियो में पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने बातचीत के मुताबिक ही तय समय पर तीन नो बॉल फेंकी थी जिसमें मोहम्मद आसिफ, मो आमिर के साथ ही सलमान बट्ट भी फंस गए थे। इसके बाद आईसीसी ने मामले की जांच करने के बाद सलमान बट्ट, आसिफ और मो आसिफ पर उम्रभर क्रिकेट नहीं खेलने की पाबंदी लगा दी थी।

अदालत के सामने अपनी बात रखते को हुए मजीद ने स्वीकार किया कि वो मैच फ़िक्सिंग के जरिए काफी पैसा कमा चुका है। ढाई साल से इस धंधे को करने वाला मजीद ट्वेन्टी-20 मैच को फ़िक्स करने के लिए चार लाख पाउंड और वनडे मैच के नतीजे बदलने के लिए चार लाख 50 हज़ार डॉलर लगाता था। अब जब इतने बड़े स्तर के मैचों को मज़ीद ने फिक्स होने का दावा किय़ा है तो लाजिमी है कि दुनिया भर में इसको लेकर हलचल तो होगी ही। वैसे ऐसा नहीं है कि फिक्सिंग के छींटे भारत और ऑस्टेलिया पर भी पहली बार लग रहे हों क्योंकि कंगारूओं की तरफ से इससे पहले जहां मार्क वॉ और शेन वार्न जैसे खिलाड़ियों के नाम उछले चुके हैं वहीं भारत में भी पूर्व कप्तान मो अज़हरूद्दीन और अजय जडेजा को तो इसकी कीमत अपना क्रिकेट करियर खत्म करके चुकानी पड़ी है। फिलहाल भारत की तरफ अभी इस मामले को नकारा जा रहा है लेकिन जिस तरह से अदालत में मजीद ने भारतीय खिलाड़ियों का नाम लिया है तो इसके बाद बीसीसीआई की ये ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो मामले की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी कराए ताकि किसी भी क्रिकेटप्रेमी के जेहन में खिलाड़ियों को लेकर किसी तरह का शक पैदा न हो सके।

ईरान की मुश्किलें बढ़ी


दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका में सऊदी अरब के राजदूत की हत्या की साजिश का पर्दाफाश होने के बाद ईरान और अमेरिका में टकराव की स्थिति पैदा होते हुए दिखाई दे रही है। इस सिलसिले में अमेरिका ने आरोप लगाया है कि उनके मुल्क में ईरान दहशतगर्दी का माहौल कायम कराना चाहता है और इसी को मद्देनज़र रखते हुए सऊदी अरब के राजदूत को मारने की योजना बनाई गई थी। अमेरिका के मुताबिक इस मामले में उसने ईरान के दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। उल्लेखनीय है कि अमरीका ने जिन दो लोगों पर आरोप तय के किये हैं उनके नाम मंसूर अरबाबसियार और गुलाम शकूरी हैं। अरबाबसियार 56 वर्षीय अमरिकी नागरिक हैं जिनके पास अमेरिका और ईरान के पासपोर्ट हैं जबकि शकूरी ईरान में हैं और बताया जाता है कि वो ईरान की कुद्स फोर्स के सदस्य हैं। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक अरबाबसियार को कुछ दिन पहले ही न्यूयॉर्क के एयरपोर्ट से गिरफ़्तार किया गया, और उन्होंने अपना जुर्म भी मान लिया है। वहीं अधिकारियों ने इस बाबत ये भी बताया कि उनके पास इस बात की जानरकारी थी कि ईरान सरकार के कुछ लोग अरब के राजदूत अब्दल अल जुबैर की हत्या कराने के लिए तक़रीबन डेढ़ मिलियन डॉलर की राशि खर्च कर रहे हैं। वहीं तफ्तीश के दौरान ये भी पता चला है कि हमला सऊदी दूतावास पर किया जाना था।

इधर मामले के उजागर होने के बाद अमेरिका अपने विरोधी ईरान पर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने में लगा हुआ है लेकिन इस मामले के बाद उभरी सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं से फिलहाल अमेरिकी अधिकारियों ने इंकार किया है। इस मसले को बेहद गंभीरता से लेते हुए अमरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिटंन ने कहा है कि वो पहले अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से बात करेंगी ताकि ईरान को इस तरह की साजिश रचने के लिए फटकार लगाई जा सके क्योंकि ये मसला अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन करने का भी है। वहीं इस तरह की बातें भी सामने आ रही हैं कि इस हत्या की साजिश के खुलासे के बाद अमेरिका ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा सकता है। याद रहे कि ईरान पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करने को मजबूर है और अगर ऐसा होता है तो इस देश मुश्किलें काफी हद तक बढ़ जाएंगी। फिलहाल ब्रिटेन ने इस साजिश के खुलासे के बाद कहा है कि वो अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने  के अमरिकी फैसले का समर्थन करेगा

दूसरी तरफ ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों को बिल्कुल निराधार बताते हुए कहा है कि ये सभी आरोप आधारहीन  हैं। मामले पर अपना रूख साफ करते हुए ईरान के यूएस एंबेसेडर खजाई ने संयुक्त राष्ट्र परिषद को एक खत के जरिए ये बताने की भी कोशिश की है कि ईरान इस तरह के किसी भी शर्मनाक आरोप का कड़े शब्दों में खंडन करता है।  तल्खी भरे अंदाज़ में खजाई ने ये भी बताया कि अमेरिका की ईरान विरोधी नीति का ये एक घिनौनी चेहरा है जो अब पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। आतंकवाद जैसे बेहद गंभीर मुद्दे को सामने रखते हुए खजाई ने बताया कि उनके मुल्क ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। इसके साथ ही ईरान ने भी अपनी तरफ से पलटवार करते हुए अमेरिका पर आरोप मढ़ा है कि ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की हत्या कराने में अमेरिका का हाथ था, क्योंकि उसने इजरायलों की मदद की थी। बहरहाल ये तो सभी जानते हैं कि अमेरिका और ईरान के संबंध किस तरह के हैं, क्योंकि दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने की फिराक में रहते हैं। अब जबकि इस मुद्दे को अमेरिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाकर ईरान के मुश्किलों में इजाफा करने में लगा हुआ है तो इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि ईरान के लिए इससे निकल पाना इतना आसान नहीं होगा।