Wednesday 12 October 2011

ईरान की मुश्किलें बढ़ी


दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका में सऊदी अरब के राजदूत की हत्या की साजिश का पर्दाफाश होने के बाद ईरान और अमेरिका में टकराव की स्थिति पैदा होते हुए दिखाई दे रही है। इस सिलसिले में अमेरिका ने आरोप लगाया है कि उनके मुल्क में ईरान दहशतगर्दी का माहौल कायम कराना चाहता है और इसी को मद्देनज़र रखते हुए सऊदी अरब के राजदूत को मारने की योजना बनाई गई थी। अमेरिका के मुताबिक इस मामले में उसने ईरान के दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। उल्लेखनीय है कि अमरीका ने जिन दो लोगों पर आरोप तय के किये हैं उनके नाम मंसूर अरबाबसियार और गुलाम शकूरी हैं। अरबाबसियार 56 वर्षीय अमरिकी नागरिक हैं जिनके पास अमेरिका और ईरान के पासपोर्ट हैं जबकि शकूरी ईरान में हैं और बताया जाता है कि वो ईरान की कुद्स फोर्स के सदस्य हैं। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक अरबाबसियार को कुछ दिन पहले ही न्यूयॉर्क के एयरपोर्ट से गिरफ़्तार किया गया, और उन्होंने अपना जुर्म भी मान लिया है। वहीं अधिकारियों ने इस बाबत ये भी बताया कि उनके पास इस बात की जानरकारी थी कि ईरान सरकार के कुछ लोग अरब के राजदूत अब्दल अल जुबैर की हत्या कराने के लिए तक़रीबन डेढ़ मिलियन डॉलर की राशि खर्च कर रहे हैं। वहीं तफ्तीश के दौरान ये भी पता चला है कि हमला सऊदी दूतावास पर किया जाना था।

इधर मामले के उजागर होने के बाद अमेरिका अपने विरोधी ईरान पर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने में लगा हुआ है लेकिन इस मामले के बाद उभरी सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं से फिलहाल अमेरिकी अधिकारियों ने इंकार किया है। इस मसले को बेहद गंभीरता से लेते हुए अमरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिटंन ने कहा है कि वो पहले अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से बात करेंगी ताकि ईरान को इस तरह की साजिश रचने के लिए फटकार लगाई जा सके क्योंकि ये मसला अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन करने का भी है। वहीं इस तरह की बातें भी सामने आ रही हैं कि इस हत्या की साजिश के खुलासे के बाद अमेरिका ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा सकता है। याद रहे कि ईरान पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करने को मजबूर है और अगर ऐसा होता है तो इस देश मुश्किलें काफी हद तक बढ़ जाएंगी। फिलहाल ब्रिटेन ने इस साजिश के खुलासे के बाद कहा है कि वो अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने  के अमरिकी फैसले का समर्थन करेगा

दूसरी तरफ ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों को बिल्कुल निराधार बताते हुए कहा है कि ये सभी आरोप आधारहीन  हैं। मामले पर अपना रूख साफ करते हुए ईरान के यूएस एंबेसेडर खजाई ने संयुक्त राष्ट्र परिषद को एक खत के जरिए ये बताने की भी कोशिश की है कि ईरान इस तरह के किसी भी शर्मनाक आरोप का कड़े शब्दों में खंडन करता है।  तल्खी भरे अंदाज़ में खजाई ने ये भी बताया कि अमेरिका की ईरान विरोधी नीति का ये एक घिनौनी चेहरा है जो अब पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। आतंकवाद जैसे बेहद गंभीर मुद्दे को सामने रखते हुए खजाई ने बताया कि उनके मुल्क ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। इसके साथ ही ईरान ने भी अपनी तरफ से पलटवार करते हुए अमेरिका पर आरोप मढ़ा है कि ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की हत्या कराने में अमेरिका का हाथ था, क्योंकि उसने इजरायलों की मदद की थी। बहरहाल ये तो सभी जानते हैं कि अमेरिका और ईरान के संबंध किस तरह के हैं, क्योंकि दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने की फिराक में रहते हैं। अब जबकि इस मुद्दे को अमेरिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाकर ईरान के मुश्किलों में इजाफा करने में लगा हुआ है तो इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि ईरान के लिए इससे निकल पाना इतना आसान नहीं होगा।

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