Saturday 8 October 2011

घोटालेबाज़ सरकार


2जी घोटाले के गड़बड़झाले से यूपीए सरकार को फिलहाल कहीं से भी राहत मिलती हुई नज़र नहीं आ रही है। एक लाख 76 हज़ार करोड़ के इस महागबन के मामले पर ए राजा से लेकर दयानिधि मारन तक को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी तो वहीं सासंद कनीमोझी भी इन दिनों तिहाड़ की हवा खा रहीं हैं। वहीं कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या उस समय खड़ी हो गई जब उनके ही वित्तमंत्री और वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी के कार्यालय से एक पत्र निकला, जिसमें सीधे तौर पर निवर्तमान वित्तमंत्री और अब गृहमंत्री का पद संभाल रहे पी चिंदबरम को निशाना बनाते हुए इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश की गई। असल में इस नोट में कहा गया है कि अगर तत्कालीन वित्त मंत्री यानि चिदंबरम चाहते तो इस घोटाले से बचा जा सकता था। जब इस मसले पर दोनों बड़े नेता एक दूसरे के आमने सामने आकर खड़े हुए तो 2006 में दूरसंचार मंत्रालय संभाल चुके दयानीधी मारन ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर 2जी मामले में उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिये। जैसा कि अब तक देखने में आया था कि 2जी घोटाले की मार अब तक सिर्फ डीएमके पार्टी के नेताओं को झेलनी पड़ रही थी लेकिन अब इसमें कांग्रेस के भी बड़े नेता लिपटते हुए नज़र आ रहें हैं। याद रहे कि इस मामले में सबसे पहले गाज दूरसंचार मंत्री ए राजा पर पड़ी थी, इसके बाद तमाम कंपनियों के बीच दलाली का काम करने वालीं कनिमोझी लपेटे में आईं और 2 साल के लिए दूरसंचार मंत्रालय संभालने वाले दयानिधी मारन का भी इसमें नाम आया और इसकी एवज में उन्हें अपना मंत्रालय तक गंवाना पड़ा। फिलहाल अब जाकर कांग्रेस इस मामले में फंसती हुई नज़र आ रही है क्योंकि मामला इसलिए और अधिक गर्म हो गया है क्योंकि इस सीधे तौर पर अब आरोप चिदंबरम के साथ खुद पीएम पर लगे हैं।    
 
इधर मौका मिलते ही भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस को घेरने का काम शुरू कर दिया है।  पार्टी के वरिष्ठ नेता और एनडीए सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने वाले यशवंत सिन्हा ने इस मामले में सीधे तौर पर गृहमंत्री पी चिदंबरम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि चिदंबरम को तो तिहाड़ जेल में बंद कर देना चाहिए। यशवंत सिंहा ने अपनी भड़ास सिर्फ चिदंबरम तक ही सीमित नहीं रखी बल्कि मनमोहन सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पहले भी ए. राजा का बचाव कर चुके हैं और अब वो चिदंबरम की भी तरफदारी कर रहे हैं। अपनी बातों को रखते वक्त उन्होंने पीएम को ये कहकर घेरा कि अगर चिदंबरम भी जेल चले जाएं तो वो खुद को भी बचाने की पुरजोर कोशिश करेंगे। बकौल सिंहा राजा ने जो कुछ भी किया था वो प्रधानमंत्री की जानकारी में किया था इसलिए अगर चिदंबरम फंसते हैं तो उनका फंसना भी तय है। ऐसा नहीं है कि पीएम ने कभी खुद को एक दम बेकसूर बताय़ा हो बल्कि उन्होंने अपने एक बयान में यह कहकर काफी हद तक सबकुछ साफ कर दिया था कि गठबंधन सरकार की बहुत सारी मजबूरियां होतीं हैं। यहां अगर पीएम द्वारा दिये गए बयानों पर नज़र डाली जाए तो सबसे पहले उन्होंने तर्क दिया था कि इस पूरे गबन के लिए वित्त मंत्रालय की लापरवाही जिम्मेदार थी। वहीं अपने दूसरे बयान में उन्होने कहा था कि गठबंधंन सरकार को चलाना इतना आसान नहीं होता है और कई बार तमाम फैसले मजबूरी में लेने पड़ते हैं। इसके अलावा अपने एक और बयान में मनमोहन सिंह ने अपने दोष को इस तरह से माना था कि मैं दोषी तो हूँ लेकिन उतना अधिक भी नहीं हूं जितना कि दिखाया जा रहा है। विपक्षी पार्टियां भी प्रधानमंत्री की ईमानदारी के कसीदे पढ़ती हैं लेकिन इन बयानों में कहीं न कहीं ये ही बात उभरकर सामने आ रही है कि पीएम को 2जी से संबंधित घोटाले की जानकारी होगी। अब जिस तरह से गठबंधन को मजबूरी का नाम देकर पीएम बचने का प्रयास कर रहे हैं उससे कहीं न कहीं ये भी उजागर हो रहा है कि सत्ता में बने रहने के लिए सरकार किसी भी बड़े घोटाले को अंजाम देने में भी नहीं हिचकिचाएगी। उल्लेखनिए है कि तकरीबन 60 से अधिक देशों में गठबंधन की सरकारें हैं लेकिन क्या वहां पर भी इसे मजबूरी का नाम देकर करोड़ों-अरबों के घोटाले किये जा रहे हैं। आगे बढ़ने से पहले भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के उस एक बयान का उल्लेख करना जरुरी हो जाता है  जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री चाहें तो सख्त कदम उठा सकता हैं। इस बात में दम भी है क्योंकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पीएम का पद सबसे बड़ा होता है और अगर वो किसी पर सख्ती करना भी चाहें तो उनकी पहल कोई रोक नहीं सकता है लेकिन करना चाहें तब।

गौरतलब है कि 2जी घोटाले  के मसले पर पीएमओ को भेजे गए वित्त मंत्रालय के एक नोट ने केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया था। मामला उस समय और अधिक बढ़ गया था जब प्रणव मुखर्जी ने साफ तौर पर इस बात का ऐलान किया, कि पीएम को चिट्ठी उन्होंने नहीं बल्कि वित्त मंत्रालय ने लिखी है। इसके बाद तो ख़बरें यहां तक आईं कि पी चिंदबरम इस रिपोर्ट से इतने नाखुश हैं कि उन्होंने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को अपने पद से इस्तीफे तक की पेशकश कर डाली। इस पूरे मामले ने पार्टी के अंदर जिस उठापटक के माहौल को बनाया, उसको शांत कराने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी सामने आने को मजबूर होना पड़ा, लेकिन तमाम माथापच्ची के बावजूद भी वो इस मसले पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल सकीं। हद तब हो गई जब वतन वापसी के बाद चिदंबरम का बचाव करते हुए मनमोहन सिंह ने विपक्ष को ही ये कहकर कठघरे में खड़ा कर दिया कि वो इस तरह की गतिविधियां चलाकर सरकार को अस्थिर करके गिराने की फिराक में लगी हुई है। वैसे सियासी जानकार अदालत में सीबीआई और सरकार के बीच हुए टकराव को भी  हकर ं खड़ा हीं नेछ करने रके बजाए चुप रहना ही बेहतर समझा महज दिखावा मान रहे हैं। बताते चलें कि हाल ही में कोर्ट में सीबीआई ने स्वायत्ता की बात रखते हुए सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाईं थीं। इस मामले से जुड़ी जांच के पूरा होने की बात कहने वाली सीबीआई हालांकि इसके अगले ही दिन ये कहकर अपनी बात से पीछे हट गई थी कि फिलहाल अभी जांच चल रही है।

बहराहल अपनी गलती में सुधार करने की कोशिश करते हुए और कई मंत्रियों को अपने साथ लेकर प्रणव मुखर्जी ने पत्रकारों को बताया कि जो नोट पीएमओ भेजा गया वो उनका नहीं है बल्कि यह अधिकारियों के एक समूह ने तैयार किया है। अब इस बयान से भले ही बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हुआ हो लेकिन अगर इसे अधिकारियों ने तैयार किया है तो फिर तमाम तथ्यों की छानबीन करने के बाद ही इसको पीएम के भेजा गया होगा, अगर ऐसा है तो फिर चिदंबरम की मुश्किलों में और अधिक इजाफा हो सकता है। राजनीतिक जानाकार इस बात को भी बताते हैं कि प्रणव ने ये बयान सोनिया गांधी के दबाव के चलते दिया है क्योंकि मुखर्जी इस मसले पर स्टेटमेंट देने के कतई मूड में नहीं थे। वैसे इस मसले को प्रणव मुखर्जी के दफ्तर की जांच के मुद्दे से भी जोड़कर देखा रहा है क्योंकि कुछ समय़ पहले उनके कार्यालय में खुफिया कैमरे लगे होने की होने की बातें सामने आईं थीं। फिलहाल कांग्रेस चाहे जितना भी ये जताने की कोशिश करे कि पार्टी के अंदर मौजूद गुटबाज़ी नहीं लेकिन जिस तरह के समीकरण दिखाई दे रहे हैं उसको देखते हुए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। फिलहाल 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले ने जिस तरह का मोड़ लिया है उससे अब ये देखना खासा दिलचस्प हो गया है कि इस फेहरिस्त में नया नाम किसका जुड़ता है।

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