Wednesday 12 October 2011

फिक्सिंग की फांस


क्रिकेट जगत में एक बार फिर फिक्सिंग के खुलासे ने सनसनी मचा दी है। मैच फिक्स करने का मामला दरअसल उस समय उठा जब लंदन की एक अदालत में पिछले साल एक स्टिंग के जरिए पकड़े गए बुकी मज़हर मजीद ने स्वीकार किया कि मैच फिक्स करने के इस बाज़ार में वो सालों से इस तरह की गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। अदालत के सामने कई अहम खुलासे करते हुए मजीद ने कहा कि खुद को पाक साफ बताने वाले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दुनिया भर में सबसे अधिक मैच फिक्स करते हैं। पाकिस्तान के तो कई दिग्गज खिलाड़ियों के नाम गिनाते  हुए मज़हर ने कहा कि वसीम, वक़ार, एजाज अहमद और मोइन खान जैसे खिलाड़ी भी मैच हारने के लिए पैसे खा चुके हैं। वहीं मामला सिर्फ पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत के दामन पर भी इसके छींटे पड़ते हुए नज़र आ रहे हैं। बुकी मज़हर ने खुलासा किया है कि भारतीय खिलाड़ी युवराज सिंह और हरभजन सिंह के उनसे संबंध हैं। लेकिन भारतीय टीम के सबसे अनुभवी स्पिनर हरभजन ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी मजीद नाम के शख्स को नहीं जानते हैं। साथ ही भज्जी ने ये भी कहा कि मजीद द्वारा उनका नाम नाहक ही इस मामले में घसीटे जाने पर वो इसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई करने की बात पर भी विचार कर रहे हैं। इसी तरह से युवराज सिंह ने भी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा है कि क्रिकेट एजेंट मज़हर मजीद के साथ उनकी किसी तरह की जान-पहचान नहीं है।

इधर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने खिलाड़ियों का पूरी तरह से बचाव करते हुए कहा है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दुनिया का सबसे बड़ा मैच फ़िक्सर बताने वाले इस बयान में ज़रा भी सच्चाई नहीं है। उल्लेखनीए है कि मजीद ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर मैच के कुछ हिस्से फ़िक्स करने का आरोप लगाया था। फिक्सिंग की जुबान में इसे ब्रैकेट्स कहते हैं जिसके तहत मैच के अलग-अलग हिस्सों को लेकर फ़िक्सिंग होती है जैसे शुरूआती ओवरों में कितने विकेट गिरेंगे और कितने रन बनेंगे। मजीद की मानें तो ऑस्ट्रेलियाई हर मैच में कम से कम 10 ब्रैकेट्स फिक्स करते हैं। वैसे क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेम्स सदरलैंड ने इस बाबत कहा है कि वह आईसीसी अधिकारियों से इस बारे में बात करेंगे और अगर कोई भी खिलाड़ी मैच-फ़िक्सिंग में शामिल पाया गया तो उस पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। याद रहे कि न्यूज़ ऑफ़ वर्ल्ड के  पत्रकार मज़हर महमूद पिछले साल एक स्टिंग करके इस बात का खुलासा किया था कि इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट मैच को टीम के तीन खिलाड़ियों ने फिक्स किया था। वीडियो में पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने बातचीत के मुताबिक ही तय समय पर तीन नो बॉल फेंकी थी जिसमें मोहम्मद आसिफ, मो आमिर के साथ ही सलमान बट्ट भी फंस गए थे। इसके बाद आईसीसी ने मामले की जांच करने के बाद सलमान बट्ट, आसिफ और मो आसिफ पर उम्रभर क्रिकेट नहीं खेलने की पाबंदी लगा दी थी।

अदालत के सामने अपनी बात रखते को हुए मजीद ने स्वीकार किया कि वो मैच फ़िक्सिंग के जरिए काफी पैसा कमा चुका है। ढाई साल से इस धंधे को करने वाला मजीद ट्वेन्टी-20 मैच को फ़िक्स करने के लिए चार लाख पाउंड और वनडे मैच के नतीजे बदलने के लिए चार लाख 50 हज़ार डॉलर लगाता था। अब जब इतने बड़े स्तर के मैचों को मज़ीद ने फिक्स होने का दावा किय़ा है तो लाजिमी है कि दुनिया भर में इसको लेकर हलचल तो होगी ही। वैसे ऐसा नहीं है कि फिक्सिंग के छींटे भारत और ऑस्टेलिया पर भी पहली बार लग रहे हों क्योंकि कंगारूओं की तरफ से इससे पहले जहां मार्क वॉ और शेन वार्न जैसे खिलाड़ियों के नाम उछले चुके हैं वहीं भारत में भी पूर्व कप्तान मो अज़हरूद्दीन और अजय जडेजा को तो इसकी कीमत अपना क्रिकेट करियर खत्म करके चुकानी पड़ी है। फिलहाल भारत की तरफ अभी इस मामले को नकारा जा रहा है लेकिन जिस तरह से अदालत में मजीद ने भारतीय खिलाड़ियों का नाम लिया है तो इसके बाद बीसीसीआई की ये ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो मामले की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी कराए ताकि किसी भी क्रिकेटप्रेमी के जेहन में खिलाड़ियों को लेकर किसी तरह का शक पैदा न हो सके।

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