Thursday 15 September 2011

तेलंगाना राज्य बनेगा ?


आंध्र प्रदेश राज्य से अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाने की मांग करने वाले समर्थकों ने आज यानि मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। तेलंगाना राज्य की मांग कर रहे समर्थक इस हड़ताल को आख़िरी युद्ध तक कह रहे हैं, क्योंकि अब तक केंद्र सरकार उनकी मांगों को टालती आ रही है। बताते चलें कि तेलंगाना संयुक्त संघर्ष समिति और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने सरकार को चेताते हुए ये ऐलान कर दिया है कि इस बेमियादी हड़ताल में तेलंगाना के सरकारी कर्मचारी, कोयले की खानों के मज़दूर, बिजली विभाग के कामगारों के साथ ही तमाम वर्गों के लोग शामिल होंगे, जो अलग राज्य बनाए जाने की पुरज़ोर वकालत करेंगे। वैसे इससे पहले भी आम लोग इस आंदोलन से जुड़े रहे हैं लेकिन इस बार जिस तरह से हड़ताल पर जाने की बात कही जा रही है उससे ये उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार को तेलंगाना समर्थकों की मांगों को गंभीरता से लेना पड़ सकता है।

वैसे इससे पहले कल संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक कोंडा राम और टीआरएस के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव ने करीमनगर में आयोजित एक रैली में लोगों से आह्वान किया कि वो इस हड़ताल के समर्थन में आएं। साथ ही उन्होंने कहा कि वो तेलंगाना के सभी 10 ज़िलों में रास्ता रोको कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही रैली निकालें ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। जैसा कि पहले ही से उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्र अलग राज्य के लिए संघर्ष में हिस्सा लेते रहे हैं अब उसी की तर्ज पर सरकारी स्कूलों और कालेजों के साथ-साथ निजी शिक्षा संगठन भी इस आंदोलन में भाग लेने का मन बना चुके हैं। इसके अलावा वकीलों ने भी अदालतों में कार्यवाई का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है। वहीं हड़ताल में शामिल होते हुए तेलंगाना क्षेत्र के तमाम सिनेमाघरों ने भी फिल्म दिखाने से इंकार कर दिया है।

इधर राज्य सरकार ने हड़ताल पर जानेवाले कर्मचारियों पर शिकंजा कसते हुए कहा है कि वो ऐसे लोगों पर एस्मा लागू करने के साथ उन्हें गिरफ्तार भी करेगी। लेकिन टीआरएस इससे बेख़ौफ है क्योंकि उनका कहना है कि अगर किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की गई तो तेलंगाना समर्थक इससे भड़क उठेंगे, और इसका अंजाम सरकार को भुगतना पड़ेगा। बकौल टीआरएस प्रमुख तेलंगाना के लोग अब क्रोध में है और उसका संयम खत्म हो गया है। यहां बता दें कि अलग तेंलगाना राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर हाल ही में इस क्षेत्र के तमाम कांग्रेसी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा टीआरएस के विधायकों ने भी अपने पदों से इस्तीफा देते हुए जल्द से जल्द अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाने की वकालत की थी। सराकर फिलहाल ये कहकर अपना पक्ष रख रही है कि अलग राज्य बनाना इतना आसान नहीं है क्योंकि ये बहुत भावनात्मक मामला है इसलिए धैर्य से काम लिया जाना चाहिए। वैसे तेलंगाना की तरह ही देश कई प्रदेशों में अलग राज्य बनाए जाने की आवाजें उठ रही हैं अगर तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिया जाता है तो उनकी मांगें भी ज़ोर पकड़ सकती है। इस मद्देनज़र सरकार अलग राज्य बनाए जाने की मांग पर टालमटोल कर रही है। बहरहाल जिस तरह से इस बार संयुक्त संघर्ष समिति और टीआरएस ने साझा कार्यवाई की शुरूआत की है उससे लगता है कि हड़ताल को इतनी आसानी से दबाया नहीं जा सकता है। ख़ैर अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार अलग राज्य की मांग को मानती है या नहीं लेकिन इस हड़ताल का सीधा-सीधा मकसद इस मांग को चर्चा में बनाए रखने का है।   

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