जिस तरह से एक के बाद एक रेल दुर्घटनाओं में यात्रियों को हादसों का शिकार होना पड़ रहा है उसने रेल विभाग के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी है। इससे पहले तकरीबन महीने डेढ़ महीने पहले यूपी के फतेहपुर में भी जबर्दस्त रेल हादसा हुआ था लेकिन लगता है कि रेलवे ने कोई सबक न लेने की कसम खा रखी है। ताजा मामला तमिलनाडु का है जहां पर कल रात लगभग 10 बजे राजधानी चेन्नई से 75 किलोमीटर दूर अराकोनम में दो ट्रेनें आपस में भिड़ गईं और इस दर्दनाक हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई है और 100 से भी ज्यादा लोगों के घायल होने की ख़बर है। बताया जा रहा है कि ये हादसा उस वक्त हुआ जब चेन्नई-वेल्लोर इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) रेल गाड़ी ने पहले से खड़ी एक लोकल ट्रेन को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि गाड़ी के पाँच डिब्बे पटरी से उतर गए।
हादसे के बाद मौके पर पहुंचे रेलवे पुलिस के महानिरीक्षक सुनील कुमार ने इस बाबत बताया कि लगभग सभी शवों की पहचान कर ली गई है। सुनील कुमार के मुताबिक सभी घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती करा दिया गया है और जो लोग गंभीर रूप से घायल हुए उन्हें ईलाज के लिए चेन्नई भेजा जा रहा है। वहीं जिस जगह पर दुर्घटना हुई है वहां पर भारी बारिश होने के कारण राहत और बचाव कार्यों में खासी दिक्कतें आ रही हैं। फिलहाल राहतकर्मी गैस कटर की मदद से ट्रेन के डिब्बों में फँसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने मारे गए लोगों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रुपए का मुआवज़ा देने के साथ ही घायलों को भी एक-एक लाख रुपए बतौर मुआवजा देने की घोषणा की गई है। वहीं हादसे के बाद चेन्नई पहुंचे रेलमंत्री ने अस्पताल में जाकर घायलों से मुलाकात करने के बाद कहा कि ईएमयू रेलगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी करते हुए तेज़ स्पीड से ट्रेन दौड़ाई, जिसकी वजह से ये बड़ा हादसा हो गया। इधर रेल अधिकारी बता रहे हैं कि हादसे के बाद ईएमयू रेलगाड़ी का ड्राइवर अपने कक्ष से कूदकर फरार हो गया।
फिलहाल हर बार की तरह से इस बार भी रेलमंत्री ने दुख जताने के बाद पीडितों के परिजनों को मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। अब सवाल उठता है कि लगभग हर महीने कोई न कोई बड़ा रेल हादसा हो जाता है लेकिन रेलमंत्री सिवाए दुख जाने के और कुछ नहीं कर पा रहे हैं। दिनेश त्रिवेदी से पहले उनकी ही पार्टी की ममता बैनर्जी के समय भी तमाम रेल हादसे हुए थे, लेकिन वो भी इन पर अंकुश लगाने में नाकाम रहीं थीं। अब लगता है कि नए रेलमंत्री भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, क्योंकि रेल हादसों पर अब भी लगाम नहीं लगाई जा सकी है। ख़ैर दुनिया के सबसे बड़े रेलतंत्रों में शामिल की जाने वाली भारतीय रेल को हादसों की तरफ गंभीरता के साथ सोचना पड़ेगा नहीं तो इस तरह के हादसे मासूम लोगों की जान इसी तरह से लेते रहेंगे।
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