Friday 23 September 2011

नहीं रहे पटौदी



भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के सफल कप्तानों में गिने जाने वाले और टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी का कल शाम दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 70 साल के पटौदी को फेफड़ों में संक्रमण हो गया था और इसी के चलते वो कुछ समय से अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे। पटौदी की मौत की ख़बर जैसे ही पता लगी तो इसके बाद उनके घर पर तमाम बड़ी हस्तियों का तांता लग गया। पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह, बीजेपी नेता अरूण जेठली  और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल समेत तमाम लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर पहुंचे। पटौदी का अंतिम संस्कार हरियाणा में उनके पैतृक गांव पटौदी में आज दोपहर कर दिया गया। पटौदी के आखिरी सफर में उनकी पत्नी शर्मिला टैगोर बेटे सैफ अली खान के साथ ही दोनों बेटियों भी मौजूद रहीं। बड़ी तादाद में जमा हुए उनके प्रशंसकों के बीच उनके जनाजे को सुपूर्दे खाक कर दिया गया। महज 21 साल की उम्र में भारतीय टीम की बागडोर संभालने वाले पटौदी ने सही मायने में टीम के अंदर जीतने का जज्बा पैदा किया था।

पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था। वहीं भारतीय टीम के लिए उन्होंने 1961 में पहला टेस्ट खेलते हुए महज एक साल के अंदर ही टीम की कप्तानी भी हासिल कर ली थी। कुल मिलाकर 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी करने वाले पटौदी ने 9 टेस्ट मैचों में भारत को जीत भी दिलाई। विदेशी पिचों पर अपने लचर प्रदर्शन के लिए पहचानी जाने वाली भारतीय टीम को इस गर्त से बाहर निकालते हुए 1968 में पहली बार न्यूज़ीलैंड को उसी की धरती पर 3-1 से हराकर न सिर्फ भारत को सिरीज़ जितवाई, बल्कि दुनिया को ये भी बता दिया दिया था कि आने वाला दौर भारतीयों का है। तूफानी बल्लेबाज़ी करने वाले पटौदी ने कुल 46 टेस्ट खेले जिनमें 6 शतक और 16 अर्धशतक लगाने के साथ ही लगभग 35 की औसत से 2793 रन बनाए थे। दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई 203 रनों की नाबाद पारी उनके टेस्ट करियर का उच्चतम स्कोर भी साबित हुआ। लेकिन अगर उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी की बात की जाए तो उन्होंने वो ऑस्ट्रेलिया में खेली थी, जब 25 रनों पर पांच विकेट गिर जाने के बाद उन्होंने अपनी चोट की परवाह न करते हुए शानदार 75 रनों की पारी खेली थी। वैसे पटौदी सिर्फ एक अच्छे बल्लेबाज़ ही नहीं थे बल्कि इसके साथ-साथ वो एक बेहतरीन फ़ील्डर भी थे जो हमेशा कवर पर खड़े होते थे और बिजली की फूर्ती दिखाते हुए गेंदे पर झपटते थे। कई क्रिकेट जानकार मानते हैं कि शायद इस तेज़ी की वजह से ही उनका नाम टाइगर पड़ा होगा। जवानी में अपनी एक आंख खोने के बावजूद जिस तरह से पटौदी ने क्रिकेट खेली उसे देखकर लगता नहीं है कि उनको अपनी एक आंख की कमी कभी खली होगी। शायद उन्हें एक आंख न होने के दर्द एहसास भी था तभी तो उन्होंने अपने मरने के बाद अपनी आंख को दान करने का महान फैसला किया, जिसने उनकी इज़्जत को अब और भी बढ़ा दिया है।

इधर पटौदी की मौत पर क्रिकेट जगत के साथ ही बॉलीवुड के लोगों ने भी अपने दुख का इजहार किया है। पूर्व टेस्ट कप्तान राहुल द्रविड़ ने पटौदी की मौत पर गहरा दुख जाहिर करते हुए कहा कि काश उन्हें इस महान खिलाड़ी के साथ कुछ वक्त और रहने का मौका मिल जाता। इसी तरह से मास्टर बल्लेबाज़ सचिन तेंडुलकर ने नवाब पटौदी की मौत पर दुख जताते हुए कहा है कि वो विश्व क्रिकेट के हीरो थे और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। आईपीएल के पूर्व चैयरमैन ललित मोदी ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है कि पटौदी ने आईपीएल के विकास में उनकी बहुत मदद की थी। बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीटर पर बताया है कि पटौदी की मौत एक दुख भरी खबर है। इसी तरह से पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान ने भी पटौदी की मौत पर दुख जाहिर करते हुए कहा है कि वो एक महान क्रिकेटर और प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। बनी बनाई टीम को लेकर चलना उतना बड़ा काम नहीं है जितना उसे नए सिरे से बनाना। पटौदी ने यही महान काम किया था और दुनिया को सिखाया था, कि असली संघर्ष करना किसे कहते हैं। हर समय क्रिकेट की मदद को तैयार रहने वाले इस महान खिलाड़ी को हमारा आखिरी सलाम।  

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